मै तुमसे मिलना नही चाहती
तुम्हारी कविताओं से अगाध प्रेम
और अप्रितम निष्ठा के बावजूद
सशंकित हूँ उनके रचियता के प्रति
कौन जाने जिस दिन तुमने मनुष्यता
पर आस्था वाली
सबसे सुन्दर कविता लिखी
ठीक उसी शाम
तुमने अपने सबसे कमजोर दोस्त का
फोन नही उठाया
कि जिस दिन
तुमने विश्व की महानत्म प्रेम कविता रची
उसी रात छिपकर पत्नि से
संसर्ग किया किसी और स्त्री से
मेरे प्रिय कवि
मै जीवन भर तुम्हारी कविताओं में डूबी रहूँ
इसलिए तुमसे मिलना अस्वीकार करती हूँ।
प्रीति चौधरी,
नया ज्ञानोदय,फरवरी,2012