Saturday, March 17, 2012

मेरे प्रिय कवि

मै तुमसे मिलना नही चाहती

तुम्हारी कविताओं से अगाध प्रेम

और अप्रितम निष्ठा के बावजूद

सशंकित हूँ उनके रचियता के प्रति

कौन जाने जिस दिन तुमने मनुष्यता

पर आस्था वाली

सबसे सुन्दर कविता लिखी

ठीक उसी शाम

तुमने अपने सबसे कमजोर दोस्त का

फोन नही उठाया

कि जिस दिन

तुमने विश्व की महानत्म प्रेम कविता रची

उसी रात छिपकर पत्नि से

संसर्ग किया किसी और स्त्री से

मेरे प्रिय कवि

मै जीवन भर तुम्हारी कविताओं में डूबी रहूँ

इसलिए तुमसे मिलना अस्वीकार करती हूँ।

प्रीति चौधरी,

नया ज्ञानोदय,फरवरी,2012