ये मंजर सियासी खतरनाक है
ये सारी फिज़ा ही खतरनाक है
मेरे ऐब को भी बताए हुनर
मेरे यार तु भी खतरनाक है
बुरे लोग दूनिया का खतरा नही
शरीफो की चुप्पी खतरनाक है...(पवन दीक्षित)
अब तो मजहब कोई ऐसा चलाया जाएं
जिसकी खुशबु से महक उठे पडोसी का भी घर
फूल इस किस्म का हर सिम्त मे खिलाया जाए
मेरे दुख-दर्द का तुझ पर असर कुछ ऐसा
मैं रहूँ भूखा तुझसे भी न खाया जाए
जिस्म दो ले के भी दिल एक हो अपने ऐसे
मेरा आँसू तेरी पलको से उठाया जाए...(गोपालदास’नीरज़’)
कल थी,
कठिन राहें,चिलचिलाती धूप
और तुम्हारी छाया
अब सिर्फ
तुम्हारी याद,मन की टीस
और,तुम्हारा साया
फिर कल
तुम्हारी आस,तुम्हारे स्वप्न
और,हमारी आरजू
फिर एक बार
होंगे हम सब एक साथ
(संकलित)
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