“हम यों जीते हैं
जीना भी खता हो जैसे
ज़िन्दगी सिर्फ गुनाहों की सज़ा हो जैसे
मेरी खुंशिया छीनकर हवा ले गई मस्तानी
जीवन की स्थिर मंजिल पर
सिर्फ उदासी छोड गई है
चाहा था फूलों का सौरभ
पर कांटो ने उलझाया है
कलियां मेरे उपवन का रिश्ता
पतझड से जोड गई है
तेरी यादों से जो दूर रहूँ
क्या बचेगा मेरे जीवन मे
मेरी हर सांस तुझसे जिंदा है
वरना क्या है मेरी धडकन में....? (संकलित)
हम यों जीते हैं
ReplyDeleteजीना भी खता हो जैसे
ज़िन्दगी सिर्फ गुनाहों की सज़ा हो जैसे
Lajabab..................