Tuesday, August 16, 2011

कतरन

ये मंजर सियासी खतरनाक है

ये सारी फिज़ा ही खतरनाक है

मेरे ऐब को भी बताए हुनर

मेरे यार तु भी खतरनाक है

बुरे लोग दूनिया का खतरा नही

शरीफो की चुप्पी खतरनाक है...(पवन दीक्षित)

अब तो मजहब कोई ऐसा चलाया जाएं

जिसकी खुशबु से महक उठे पडोसी का भी घर

फूल इस किस्म का हर सिम्त मे खिलाया जाए

मेरे दुख-दर्द का तुझ पर असर कुछ ऐसा

मैं रहूँ भूखा तुझसे भी न खाया जाए

जिस्म दो ले के भी दिल एक हो अपने ऐसे

मेरा आँसू तेरी पलको से उठाया जाए...(गोपालदासनीरज़)

कल थी,

कठिन राहें,चिलचिलाती धूप

और तुम्हारी छाया

अब सिर्फ

तुम्हारी याद,मन की टीस

और,तुम्हारा साया

फिर कल

तुम्हारी आस,तुम्हारे स्वप्न

और,हमारी आरजू

फिर एक बार

होंगे हम सब एक साथ

(संकलित)

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