Wednesday, August 17, 2011

निदा फ़ाज़ली: कुछ बेहतरीन कलाम

सोचने बैठे जब भी उसको

अपनी ही तस्वीर बना दी

ढूँढ के तुझ में,तुझको हमने

दुनिया तेरी शान बढा दी

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मन बैरागी,तन अनुरागी,कदम-कदम दुशवारी है

जीवन जीना सहल न जानो बहुत बडी फनकारी है

औरों जैसे होकर भी हम बा-इज़्ज़त हैं बस्ती में

कुछ लोगो का सीधापन है,कुछ अपनी अय्यारी है

जो चेहरा देखा वह तोडा,नगर-नगर वीरान किए

पहले औरों से नाखुश थे अब खुद से बेजारी है।

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इतनी पी जाओं

कि कमरे की सियह खामोशी

इससे पहले कि कोई बात करे

तेज़ नोकीले सवालात करे

इतनी पी जाओ कि दीवारों के बेरंग निशान

इससे पहले कि

कोई रुप भरें

माँ बहन की तस्वीर करें

मुल्क तक़्सीम करें

इससे पहले कि उठे दीवारें

खुन से माँग भरें तलवारें

यूँ गिरो टूट के बिस्तर पे अँधेरा खो जाए

जब खुले आँख सवेरा हो जाए

इतनी पी जाओ!


1 comment:

  1. सोचने बैठे जब भी उसको

    अपनी ही तस्वीर बना दी

    ढूँढ के तुझ में,तुझको हमने

    दुनिया तेरी शान बढा दी

    Bhout khoob Ajeet Bhai

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